पराक्रम दिवस एवं विकसित भारत 2047 परिसंवाद के अवसर पर आयोजन
उज्जैन। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती के अवसर पर आयोजित परिसंवाद का उद्देश्य देश के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान का स्मरण करना और युवाओं को प्रेरित करना रहा। इस परिसंवाद का आयोजन पं. जवाहरलाल नेहरू प्रबंध संस्थान द्वारा किया गया।
परिसंवाद की शुरुआत में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. डॉ. अर्पण भारद्वाज ने अपने सामयिक प्रेषित संदेश में नेताजी की नेतृत्व क्षमताओं को सम्मानित करते हुए उन्हें युवाओं और किसानों का आदर्श बताया और उनके दृढ़ संकल्प व्यक्तित्व को नमन किया। उन्होंने पं. जवाहरलाल नेहरू प्रबंध संस्थान को इस आयोजन पर बधाई देते हुए नई प्रबंध पीढ़ी से नेताजी सुभाषचंद्र बोस के कौशल गुणों को आत्मसात करने का आह्वान किया।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. डॉ. अर्पण भारद्वाज जी ने कहा कि “आप प्रबंधन और मैनेजमेंट का अध्ययन कर रहे हैं, अगर वास्तव में देखा जाए तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही प्रभावी नेता थे, जिन्होंने बड़ी संख्या में मानव संसाधनों को नियोजित और एकत्रित कर आजाद हिंद फौज की स्थापना की। यह मानव संसाधन कौशल का एक बेहतरीन उदाहरण है।”
परिसंवाद के मुख्य अतिथि, सेवानिवृत्त बैंक प्रबंधक और सामाजिक संस्था परिवर्तन के अध्यक्ष, वरिष्ठ समाजसेवी श्री एस.एस. नारंग ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ा और भारत को आज़ाद कराया। उन्होंने हमें एक स्वतंत्र भारत की विरासत दी, जिसे सोने की चिड़ीया भी कहा जाता था। आज युवा पीढ़ी और सभी का नैतिक दायित्व है कि भारत को विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए काम करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत 2047” के स्वप्न को पूरा करने में योगदान दें। उनका यह भी स्वप्न है कि भारत 2030 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने।
इस विशिष्ट परिसंवाद के उद्देश्यों और अतिथि परिचय देते हुए परिसंवाद संचालन कर्ता प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता, निदेशक पं. जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान ने कहा कि दुनियाभर में नेताजी की आक्रामक नेतृत्व क्षमताओं पर आज भी असीमित शोध की संभावनाएं हैं।
एफसीए प्रो. डॉ. दीपक गुप्ता, अध्यक्ष प्रबंध अध्ययन मंडल, कार्यपरिषद सदस्य प्रो. डॉ. कामरान सुल्तान, प्रबंध संकायाध्यक्ष प्रो. डॉ. डी.डी. बेदिया, निदेशक आईक्यूएसी डॉ. सचिन राय, निदेशक भारत अध्ययन केंद्र ने भी इस सामयिक आयोजन पर हर्ष व्यक्त किया।
पं. जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान की प्रबंध संकाय की सदस्य और आईआईसी-आईक्यूएसी कोऑर्डिनेटर डॉ. नयनतारा डामोर ने अतिथियों और विशेष रूप से उपस्थित विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व प्रतिभाशाली विद्यार्थियों श्रीमती मारिया कासिमवाला, अमन सरायवाला, विशाल मालवीय, हरिशंकर बोडाना का स्वागत एवं सम्मान किया। प्रबंध संकाय के विद्यार्थियों मुस्कान शिवहरे, कनिष्का शर्मा, उत्कर्ष शर्मा, विश्रुत राजपुरोहित और अन्य एमबीए विद्यार्थियों ने अपने सारगर्भित तात्कालिक भाषणों के माध्यम से सहभागिता की। कुलानुशासक प्रो. डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने इस गहन परिसंवाद के अंत में नेताजी के नेतृत्व और आजाद हिंद फौज के महत्व पर विस्तृत प्रकाश डाला। परिसंवाद आयोजन के समापन के बाद स्टाफ सदस्य श्री गोविंद तोमर ने सभी का आभार व्यक्त किया।