सकट चौथ पर हो रहा शुभ योग, सौभाग्य योग का निर्माण

इस दिन माघ नक्षत्र पर बव, बालव करण का योग भी बैठा
उज्जैन। वैदिक ज्योतिष काल गणना के अनुसार, सकट चौथ 17 जनवरी के दिन शुभ योग, सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही, इस दिन माघ नक्षत्र पर बव, बालव करण का योग भी बैठा है।
श्री मांतगी ज्योतिष ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार 17 जनवरी, मास माघ, पक्ष कृष्ण, वार शुक्रवार, नक्षत्र मघा, तिथि चतुर्थी पर सकट चौथ मनाई जाएगी। शुभ मुहूर्त प्रातः 6 बजकर 22 मिनट से 7 बजकर 10 मिनट तक, अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक, गोधूलि मुहूर्त : शाम 5 बजकर 56 मिनट से शाम 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।
सकट चौथ पर गणेशजी की पूजा से होती है धन-धान्य, व्यापार में वृद्धि
ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया कि शुक्रवार को चतुर्थी का दिन होने पर गणेश जी, लक्ष्मी जी, और शुक्र ग्रह की पूजा करना शुभ माना जाता है। इस दिन पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सकट चौथ पर माताओं द्वारा अपनी संतान की उन्नति और भाग्योदय के लिए व्रत रखा जाता है। सकट चौथ के दिन श्री गणेश की आराधना एवं व्रत रखने से संतान का भविष्य उज्जवल बनता है और उस पर हमेशा श्री गणेश की कृपा बनी रहती है। इस दिन गणेश जी की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी समस्याएं दूर होती हैं। इस दिन गणेश जी की पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान में वृद्धि होती है। इस दिन गणेश जी से जो भी मनोकामना मांगी जाती है, वह अवश्य पूरी होती है। गणेश जी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस दिन गणेश जी की पूजा करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और व्यापार में वृद्धि होती है।
व्रत रखें, संतान के हाथों भी गणेश जी की पूजा करवाएं
ज्योतिर्विद पं. अजय व्यास ने बताया कि सकट चौथ पर भगवान श्री गणेश की पूजा करें, व्रत रखें, संतान के हाथों भी गणेश जी की पूजा करवाएं, दान और पुण्य करें। इस व्रत को करने से व्रतधारी के सभी तरह के दुख दूर होंगे और उसे जीवन के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी। चारों तरफ से मनुष्य की सुख-समृद्धि बढ़ेगी। पुत्र-पौत्रादि, धन-ऐश्वर्य की कमी नहीं रहेगी।
बहुत ही पवित्र और आदर्श है गणेश जी का परिवार
पं. अजय व्यास ने बताया कि गणेश जी के परिवार में पिता भगवान शिव, माता पार्वती, भाई कार्तिकेय (सुब्रमण्यम), पत्नी रिद्धि और सिद्धि (कुछ पुराणों में उनकी दो पत्नियों का उल्लेख है), पुत्र शुभ और लाभ (कुछ पुराणों में उनके दो पुत्रों का उल्लेख है)। गणेश जी का परिवार बहुत ही सुखी और समृद्ध माना जाता है। उनके परिवार में सभी सदस्य एक दूसरे के साथ बहुत ही प्रेम और सम्मान के साथ रहते हैं।
तिल चतुर्थी की पौराणिक कथा
पं. अजय व्यास के अनुसार तिल चतुर्थी की कथा भगवान गणेश से जुड़ी हुई है। एक बार देवता कई विपदाओं में घिरे थे, तब वह मदद मांगने भगवान शिव के पास आए। उस समय शिव के साथ कार्तिकेय तथा गणेशजी भी बैठे थे। देवताओं की बात सुनकर शिवजी ने कार्तिकेय व गणेशजी से पूछा कि तुम में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। तब कार्तिकेय व गणेशजी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया। इस पर भगवान शिव ने दोनों की परीक्षा लेते हुए कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा वही देवताओं की मदद करने जाएगा। भगवान शिव के मुख से यह वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए, परंतु गणेशजी सोच में पड़ गए। गणेशजी ने अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गए। परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय स्वयं को विजेता बताने लगे। तब शिवजी ने श्रीगणेश से पृथ्वी की परिक्रमा ना करने का कारण पूछा। तब श्रीगणेश ने कहा- ’माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं।’ यह सुनकर भगवान शिव ने गणेशजी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी। इस प्रकार भगवान शिव ने गणेशजी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके तीनों ताप यानी दैहिक ताप, दैविक ताप तथा भौतिक ताप दूर होंगे।

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