सकारात्मक भाव रचने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार : सुपेकर

विचार प्रवाह मंच, इंदौर का लघुकथा अधिवेशन आयोजित

उज्जैन। सकारात्मकता क्या है? सकारात्मकता वह भाव है जिसको पढ़ने और लिखने से मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहता है, नकारात्मकता, तनाव, डिप्रेशन से लड़ने में इंसान को सहायता मिलती है। समस्याओं को समाधान देने की सफल कोशिश है सकारात्मकता। सकारात्मक लघुकथाएँ जीवन में अनायास आ गई विषमताओं, कटुताओं पर प्रहार कर एक नई ऊर्जा को जन्म देती है।
उक्त उद्गार, विचार प्रवाह साहित्य मंच, इंदौर के तृतीय लघुकथा अधिवेशन में अतिथि रूप में भाग लेते हुए उज्जैन के वरिष्ठ लघुकथाकार सन्तोष सुपेकर ने व्यक्त किए। जानकारी देते हुए संस्था सरल काव्यांजलि के सचिव और लघुकथाकार मानसिंह शरद ने बताया कि इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने कहा कि लघुकथा जीवंत विधा है, इसका साहित्य में कोई विकल्प नहीं। देह का आत्मा हो जाना लघुकथा है। मुख्य अतिथि, वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ. पुरुषोत्तम दुबे ने लघुकथा विधा में मध्यप्रदेश के योगदान का जिक्र किया। मीरा जैन ने लघुकथा में सकारात्मकता कैसे आए इस पर महत्वपूर्ण टिप्स दिए।
लघुकथा शोध केंद्र की निदेशक कांता राय ने कहा कि सकारात्मकता साहित्य में इत्र के समान है। उज्जैन की वरिष्ठ साहित्यकार माया बदेका ने भी अतिथि के रूप में संबोधित किया। स्वागत भाषण संस्था अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार मुकेश तिवारी ने दिया।
इस अवसर पर वरिष्ठ लघुकथाकार राममूरत राही, सुधाकर मिश्रा आदि ने लघुकथा पाठ किया और सतीश राठी, ज्योति जैन, वसुधा गाडगिल, घनश्याम मैथिल और सुनीता प्रकाश को सम्मानित किया गया।

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