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भारतीय संविधान विश्व में सबसे बड़ा एवं विस्तृत संविधान है, जिसमें 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं, जब कि अमेरिका के संविधान में 7 अनुच्छेद, कनाडा के संविधान में 147 अनुच्छेद है। इसके विस्तृत होने के अनेक कारण जैसे इसमें संघ के प्रावधानों के साथ-साथ राज्य के शासन से संबंधित प्रावधानों को भी शामिल किया है। जातीय, सांस्कृतिक, भौगोलिक, सामाजिक विविधता के साथ नागरिकों के मूल अधिकारों का विस्तृत उल्लेख नीतिनिर्देशक तत्वों एवं मूल कर्तव्यों का समावेश किया जाने के कारण संविधान को विस्तृत आधार प्रदान किया है।
भारतीय संविधान को डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 26 नवम्बर 1949 को तैयार किया था। संविधान की प्रस्तावना मार्गदर्शक का कार्य करती है। संविधान के निर्माण के उद्देश्य प्रस्तावना द्वारा स्पष्ट होते हैं।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में लिखा है-
हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पदा समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबसे व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी सम्वत् दो हजार छ: विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
मूल संविधान में समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखण्डता शब्द नहीं था। इसका भारतीय संविधान में समावेश 42वें संवैधानिक संशोधन 1976 के द्वारा किया गया है।
1950 में अपनाया गया भारतीय संविधान अपनी व्यापक और समावेशी प्रकृति के लिए जाना जाता है। यह भारत का सर्वोच्च कानून है।
भारतीय संविधान देश की राजनीतिक व्यवस्था के लिए दिशा-निर्देश तय करता है। यह संघात्मक और एकात्मक दोनों तरह का होकर संसदीय प्रणाली पर आधारित है। इससे मौलिक अधिकार और कर्तव्य शामिल है। भारतीय संविधान एक धर्मनिरपेक्ष देश को बढ़ावा देता है, इसमें केंद्र और राज्य सरकार के बीच विषयों का विभाजन किया गया है। देश के नागरिकों को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार, एकल नागरिकता का प्रावधान है। इसमें देश की जरूरतों और उपयुक्तता को ध्यान में रखकर समय-समय पर संशोधन किए जाते हैं। इस प्रकार यह संविधान कठोरता और लचीलेपन का मिश्रण है। 26 जनवरी 1950 से भारत में संविधान लागू हुआ था। यह दिवस, भारत में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारतीय संविधान के तृतीय भाग में अनुच्छेद 12 से 35 तक मौलिक अधिकारों का विशिष्ट विवेचन किया गया है, जिसमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक तथा शिक्षा संबंधी अधिकार, संवैधानिक उपचारों का अधिकार एवं शिक्षा का मौलिक अधिकार।
प्रत्येक व्यक्ति अपने अधिकारों के प्रति तत्परता दिखाता है किन्तु अपने मूल कर्त्तव्यों के प्रति उदासीन रहता है। संविधान में वर्तमान में मूल कर्तव्यों का विवरण है, जिसमें प्रत्येक नागरिक संविधान का पालन करें, राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान का आदर करें, भारत की प्रभुता, एकता, अखण्डता की रक्षा करें। सभी भारतीय समरसता, मातृत्व की भावना का विकास करें। हमारी सभ्यता, संस्कृति पर्यावरण, गौरवशाली परंपरा सरंक्षण करे। वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर व्यक्तिगत तथा राष्ट्र के विकास हेतु निरंतर प्रयास करें। इस प्रकार संविधान निर्माताओं ने संविधान में सभी महत्वपूर्ण प्रावधानों को शामिल करने का प्रयास किया, यह अपने आप में एक पूर्ण और व्यापक दस्तावेज है हम नागरिकों को भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं द्वारा निर्धारित नियमों और विनियमों का पालन करना चाहिए।