इसरो पीएसएलवी रॉकेट के गोल डिजाइन के साथ अंतरिक्ष में 2 उपग्रहों को डॉक करेगा

“स्पेडेक्स” देश के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा, जिसमें अंतरिक्ष यान डॉकिंग प्रौद्योगिकी में भारत की विशेषज्ञता का प्रदर्शन होगा

इसरो के स्पेडेक्स मिशन का लक्ष्य 30 दिसंबर, 2024 को ऐतिहासिक अंतरिक्ष डॉकिंग उपलब्धि हासिल करना है, जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की क्षमताओं को उजागर करेगा और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाएगा: डॉ. जितेंद्र सिंह

डॉकिंग तकनीक “चंद्रयान-4” जैसे दीर्घकालिक कार्यक्रमों और नियोजित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए महत्वपूर्ण है। यह बाद में मानवयुक्त “गगनयान” मिशन के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा

नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग तथा कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का इस साल के अंत में 30 दिसंबर को निर्धारित मिशन ऐतिहासिक होगा, क्योंकि यह अंतरिक्ष में दो उपग्रहों की डॉकिंग करना या उन्हें जोड़ने अथवा उनके विलय की दुर्लभ उपलब्धि हासिल करेगा। उन्होंने बताया कि इस परियोजना का नाम “स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट” (स्पेडेक्स) रखा गया है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूरा देश उत्सुकता से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की ओर देख रहा है, क्योंकि इसरो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने के लिए तैयार है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने एक विशेष मीडिया साक्षात्कार में विस्तार से इस संबंध में पूरी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आगामी स्पेडेक्स मिशन का लक्ष्य अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को संयुक्त रूप से स्थापित करना है, जो एक ऐसी चुनौती है जिसे पूरा करने में केवल कुछ ही देश सफल हो पाए हैं। यह महत्वाकांक्षी परियोजना स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पेडेक्स) के तहत 30 दिसंबर, 2024 को क्रियान्वित होगी और इस मिशन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली स्वदेशी तकनीक को “भारतीय डॉकिंग सिस्टम” कहा जा रहा है। “स्पेडेक्स” भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा, जो अंतरिक्ष यान डॉकिंग प्रौद्योगिकी में देश की विशेषज्ञता को प्रदर्शित करेगा।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह मिशन अंतरिक्ष डॉकिंग में दक्षता प्राप्त करने हेतु सक्षम देशों की विशिष्ट श्रेणी में भारत का स्थान सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि इस जटिल उपलब्धि को प्रदर्शित करने के लिए एक अद्वितीय माध्यम और पीएसएलवी रॉकेट, ‘भारतीय डॉकिंग सिस्टम’ से सुसज्जित दो उपग्रहों को प्रक्षेपित करेगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस मिशन की सफलता भारत की भविष्य की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के लिए अति आवश्यक है। उन्होंने बताया कि डॉकिंग तकनीक अब आगे “चंद्रयान-4” और नियोजित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन जैसे दीर्घकालिक मिशनों के लिए निर्णायक है। यह उपलब्धि बाद में मानवयुक्त “गगनयान” मिशन के लिए भी महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।

एक हैंडआउट में जानकारी दी गई है कि अंतरिक्ष के लगभग शून्य में इसरो 28,800 किलोमीटर/घंटा की गति से परिक्रमा कर रहे दो उपग्रहों को संयुक्त करने का प्रयास करेगा। यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि इस दौरान दोनों उपग्रहों को सावधानीपूर्वक संचालित करना होगा ताकि उनके सापेक्ष वेग को मात्र 0.036 किलोमीटर/घंटा तक कम किया जा सके। ‘चेजर’ और ‘टारगेट’ नामक दो उपग्रह अंतरिक्ष में एक इकाई बनाने के लिए आपस में जुड़ जाएंगे।

इसरो की यह उपलब्धि भारत को विश्व के अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी रहने वाले देशों में शामिल कर देगी, जो अंतरिक्ष अन्वेषण और नवाचार की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। स्पेडेक्स एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो आने वाले वर्षों में अधिक जटिल अंतरिक्ष मिशनों का मार्ग प्रशस्त करेगा। इसरो का स्पेडेक्स मिशन 30 दिसंबर, 2024 को प्रक्षेपित किया जाएगा, जो भारत की अंतरिक्ष यान डॉकिंग प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करेगा और यह अंतरिक्ष अन्वेषण एवं उपग्रह सेवा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण पदचिह्न होगा।

भारत, अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। इसरो 30 दिसंबर, 2024 को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पेडेक्स) लॉन्च करेगा। इस मिशन में पीएसएलवी-सी60 का उपयोग किया जाएगा, जो श्रीहरिकोटा से भारतीय समय के अनुसार 21 बजकर 58 मिनट पर उड़ान भरेगा। स्पेडेक्स एक मील का पत्थर है, जो अंतरिक्ष यान डॉकिंग प्रौद्योगिकी में भारत की विशेषज्ञता को प्रदर्शित करता है।

स्पेडेक्स दो समान उपग्रहों, एसडीएक्स01 और एसडीएक्स02 को स्थापित करेगा। प्रत्येक उपग्रह का वजन लगभग 220 किलोग्राम है और ये संयुक्त होकर पृथ्वी से 470 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा करेंगे। इसके प्रमुख उद्देश्यों में सटीक समागम और डॉकिंग कार्य करना, इसके बाद डॉक किए गए अंतरिक्ष यान के बीच पावर ट्रांसफर को सुचारु करना तथा दो वर्ष की जीवन अवधि के साथ अनडॉकिंग के बाद पेलोड का संचालन करना शामिल हैं।

यह मिशन भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए आवश्यक है, जिसमें उपग्रह सेवा और भारत के अंतरिक्ष केंद्र यानी कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण कार्य शामिल है।

स्पेडेक्स विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए पीएसएलवी के चौथे चरण पीओईएम-4 का भी इस्तेमाल करेगा। यह चरण शैक्षणिक संस्थानों और स्टार्टअप्स से 24 पेलोड ले जाएगा। इसके दौरान कक्षा में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण वातावरण का उपयोग किया जाएगा।

स्पेडेक्स दो उपग्रहों के बीच डॉकिंग और अनडॉकिंग क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा। इसमें ऊर्जा का हस्तांतरण और वैज्ञानिक पेलोड का संचालन शामिल है। यह मिशन युक्तियों के एक क्रम का अनुकरण करेगा, जो 20 किलोमीटर पर सुदूर समागम चरण से शुरू होगा और 3 मीटर पर डॉकिंग के साथ समाप्त होगा।

यह क्षमता भारत के चंद्र और अंतरग्रहीय मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है। डॉकिंग प्रौद्योगिकी बहु-प्रक्षेपण मिशनों को सक्षम बनाती है और भविष्य में मानव अंतरिक्ष उड़ान को सहायता प्रदान करती है। अभी तक केवल अमरीका, रूस और चीन ही ऐसी उपलब्धि हासिल करने में सफल हुए हैं।

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